प्रस्तावना: सोचिए... क्या आप अपनी ज़िंदगी चला रहे हैं, या ज़िंदगी आपको चला रही है? क्या आपने कभी ऐसा महसूस…
प्रस्तावना हर इंसान के जीवन में ऐसा समय आता है जब सबकुछ अधूरा, टूटा हुआ और निराशाजनक लगता है। लेकिन…